रूह से – रूह तक लेखक विनीत बंसल
My rating: 3 of 5 stars
मोहब्बत क्या है? ये पाने का नाम है या चुपचाप दर्द झेलने का? सच्चा प्यार किस्से कहानियो मे ही होता है. कुछ ऐसा ही वर्णन इस पुस्तक मे है.
नील एक इंजिनियरिंग कॉलेज मे प्रवेश लेता है. पहुचते ही वो एक दबंग अमीर जादे की जान बचा लेता है. रणवीर उसे अपना छोटा भाई बना लेता है. नील उसके परिवार के सदस्य की तरह हो जाता है. जैसा की कहानियो मे होता है नील को अपनी सहपाठी अदिति से प्यार हो जाता है. परंतु एक खूबसूरत मॉडेल जैसी लड़की जिया स्थिति को जटिल कर देती है. जीया, नील को प्यार करती है और रणवीर जीया को. इस सब के चलते रणवीर शराबी हो जाता है और नील व अदिति के जीवन मे भूकंप आ जाता है.
कहानी मे जिस प्रकार के किरदार है , वो काफ़ी पुराने अंदाज के है. ऐसा ७० के दशक के मूवीज़ मे होता था. एक बेहद शरीफ हीरो. प्यार मे पागल हेरोइने.एक दोस्त जो कालांतर मे विलन बन जाता है. तथा अंत मे एक पागल सुंदरी. और निखिल के रूप मे एक वफ़ादार मित्र.
कहानी मे कुछ नयापन नही है. ये सपाट चलती है तथा अंत मे प्रिडिक्टबल होने के कारण नीरस बन जाती है. कहानी इतनी नाटकीय है की आर्टिफिशियल लगती है.
इस कहानी मे इस प्रकार का प्यार है जैसा पुराने किस्से कहानियो मे होता था.
मैं इस उपन्यास को ३/ ५ स्टार्स देता हूँ.
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