Bhakshak (Sunil #114) by Surender Mohan Pathak
My rating: 4 of 5 stars
Vintage SMP. Usual Sunil fare. A treat for fans of Sunil. A whodunnit and murder mystery. All the typical sunilian elements are present.
चिराग कासनीवाल को रात के अंधेरे में अपने पड़ोस से मौत का फरिश्ता अपनी तरफ झांकता जान पड़ता था, जो अपनी बाहें पसारे उसे उनमें समा जाने के लिए उकसाता था, हर घड़ी उसे एहसास दिलाता था कि कोई अनहोनी होने वाली थी। क्या वो सच में हलकान पशेमान था या वो उसके दिमाग का खलल था ?
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